देखा है क्या तुमने अभी आईना में चेहरा अपना। देखा है क्या तुमने अभी आईना में चेहरा अपना।
इसलिए इंतज़ार कर रही हूँ ताकि पहल आपसे हो जाए...! इसलिए इंतज़ार कर रही हूँ ताकि पहल आपसे हो जाए...!
हम दो, हमारे दो, तो सबके ही दो...। हम दो, हमारे दो, तो सबके ही दो...।
झूठे समाज के लोग...। झूठे समाज के लोग...।
रोज़ बेचते ईमान देखा...! रोज़ बेचते ईमान देखा...!
महंगाई के बारे में एक कविता...। महंगाई के बारे में एक कविता...।